जब अर्जुन को भगवान श्रीकृष्ण के विषय में ज्ञान हुआ तो क्या हुआ ?
Teachings of Bhagwat Geeta in Hindi
अर्जुन को श्रीकृष्णजी का वास्तविक ज्ञान :-
मन में उठा विषाद अचानक शान्त हो चुका था | निद्रा को जीतने वाले अर्जुन की आंखो से अश्रु अनवरत बहती गंगा की तरह बहते ही जा रहे थे | क्योंकि उन्हें अब ज्ञात हो चुका था कि .. श्री कृष्ण ही सर्वस्व है...
तभी तो उन्होंने ने कहा -
त्वमादिदेवः पुरुषः पुराणस्त्वमस्य विश्वस्य परं निधानम् ।
वेत्तासि वेद्यं च परं च धाम त्वया ततं विश्वमनन्तरूप ॥
भावार्थ : आप आदि देव सनातन पुरुष हैं, आप इस संसार के परम आश्रय हैं, आप जानने योग्य हैं तथा आप ही जानने वाले हैं, आप ही परम धाम हैं और आप के ही द्वारा यह संसार अनन्त रूपों में व्याप्त हैं।
वायुर्यमोऽग्निर्वरुणः शशाङ्क: प्रजापतिस्त्वं प्रपितामहश्च ।
नमो नमस्तेऽस्तु सहस्रकृत्वः पुनश्च भूयोऽपि नमो नमस्ते ॥
भावार्थ : आप वायु, यम, अग्नि, वरुण, चन्द्रमा तथा सभी प्राणीयों के पिता ब्रह्मा भी है और आप ही ब्रह्मा के पिता भी हैं, आपको बारम्बार नमस्कार! आपको हजारों बार नमस्कार! नमस्कार हो!! फिर भी आपको बार-बार नमस्कार! करता हूँ।
नमः पुरस्तादथ पृष्ठतस्ते नमोऽस्तु ते सर्वत एव सर्व ।
अनन्तवीर्यामितविक्रमस्त्वंसर्वं समाप्नोषि ततोऽसि सर्वः ॥
भावार्थ : हे असीम शक्तिमान! मैं आपको आगे से, पीछे से और सभी ओर से ही नमस्कार करता हूँ क्योंकि आप ही सब कुछ है, आप अनन्त पराक्रम के स्वामी है, आप ही से समस्त संसार व्याप्त हैं, अत: आप ही सब कुछ हैं।
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हर व्यक्ति को हमेशा याद रखना चाहिए, कि इस संपूर्ण विश्व के संचालक और नायक परमपिता परमेश्वर अर्थात् वसुदेव नंदन श्रीकृष्ण चन्द्र जी ही हैं | उनकी परम आज्ञा और अनुकम्पा के बिना इस दुनियां में किसी भी कार्य को सिद्ध करना असम्भव है |
अतः सबको अपने परम कल्याण के लिए अपने सभी कार्यों को, जो समय के द्वारा निर्धारित हों बहुत ही तन्मयता से करना चाहिए और उन सभी कर्मों को श्रीहरि कृष्ण के पुनीत चरणों में नियत कर देना चाहिए |
© कवि आशीष उपाध्याय "एकाकी"
1 Comments
उत्कृष्टमं
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