मैं तो बहुत छोटी हूं, आप मेरे साथ ऐसा क्यों कर रहे हो ? मुझे इन चारों भाई बहनों के प्रेम से वंचित क्यों कर रहे हो ? क्या आप चाहते हो कि, मैं भी अपना नन्हा बचपन त्याग के जल्दी से बड़ी हो जाऊं और उन इन सभी के साथ लडूं झगड़ू ? जैसा सभी करते हैं |
आप तो मेरे सबसे अच्छे वाले भैया हो ना ! तो समझो ना ! मुझे अपना बचपना बहुत ही अच्छा लगता है, आपका प्रेम और इन चारों का भी |
मैं अभी हंसना चाहती हूं | सुबह - सुबह आपकी उंगली पकड़ के ओस से भीगे घासों पर चलना चाहती हूं | आपके दुलार की मिठास महसूस करना चाहती हूं और महसूस करना चाहती हूं, आप सबका सजीव प्रेम !
जाने अनजाने में सभी माता - पिता, बड़े भाई - बहन ऐसी गलतियां करते रहते हैं, जिसका अप्रत्यक्ष असर घर में छोटे बच्चों पर पड़ता है और उनका बचपन छीन जाता है |
अपने घर में अपने बच्चों, छोटे भाई - बहनों की तुलना उनके खुद के भाई बहनों या किसी और से कभी ना करें | उन्हें समय समय पर ये एहसास दिलाएं कि किस समय उनके कौन सा काम सही है | यदि आप ऐसा करते हैं, तो उनको उनके सुनहरे और प्यारे बचपन के साथ - साथ आपका ढेर सारा प्यार भी मिलेगा और आपका भी हृदय खिल उठेगा |
निवेदनआपको यह लघु कथा कैसी लगी ? हमें कॉमेंट करके बताएं और अपने घर में, और अपने मित्रों के साथ शेयर करें |
3 Comments
कम शब्दों में मर्म को कैसे समझाना है, ये कोई आपसे सीखे 👍🏻👏🏻👏🏻👏🏻🙏🏻
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद भाई जी क🙏🙏🙏
Deleteवाह सही कहा।कम उम्र के बच्चों की तुलना किसी और से करने पर बच्चे संकुचित हो जाते हैं।जो गलत है।
ReplyDeleteआपने बड़े ही आधारभूत बात पर सवाल खड़ा किया।👏👏
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