मन पर इन्द्रियों का प्रभाव
Effect of the Sense on the Mind in hindi
मन पर इन्द्रियों का प्रभाव - Effect of the Sense on the Mind |
विषय :- मन ।(प्रेरणास्रोत :- भगवदगीता)
कहा जाता है, मनुष्य का मन जैसा होता है, उसकी आंतरिक और बाह्य वृत्तियां भी ठीक उसी तरह की होती हैं और मन पर सीधा प्रभाव इंद्रियों का तो होता ही है । कोई भी व्यक्ति जिस प्रकार के वातावरण में रहता है, जिस प्रकार की वस्तुओं को अपनी आंखों से देखता है, जिस प्रकार का भोजन करता है, जिस प्रकार के लोगों के साथ रहता है, जिस प्रकार के वचनों को सुनता है, वह ठीक वैसा ही होता है या हो जाता है ।
अधिकांशतः मैं स्वयं कई बार इन सब बातों का अवलोकन कर चुका हूं ।🌷
साधारण शब्दों में कहूं, तो इंद्रियों के द्वारा मनुष्य के मन को जिस प्रकार का Input मिलता है या जिस तरह का संदेश मन को दिया जाता है, ठीक उसी प्रकार मन भी हो जाता है ।
उदाहरण :-
एक छोटे से बच्चे को देखिए, कितना हँसता है, हमेशा अपने आप में मगन रहता है । जब वह पहली बार रोया होगा तो उसे खिलौना देकर माता - पिता ने चुप कराया होगा, तभी से उसे उसके निश्चल मन में इंद्रियों के द्वारा यह संदेश दिया गया कि खिलौना ही तुम्हारे सुख का साधन है और वह बच्चा इस इनपुट को अपने अंदर ग्रहण कर लेता है । अब उसका मन मात्र एक खिलौने से बहल जाता है और खिलौना न रहने पर वह बच्चा रोने लगता है ।
ठीक ऐसा ही हर मनुष्य के साथ भी है । इसलिए हम सभी को अपनी इंद्रियों के द्वारा अपने मन को स्वच्छ संदेश देना चाहिए । जिससे हमारा मन स्वच्छ रहे और हम समूचे विश्व के प्रति अपने दायित्वों का भली प्रकार से खुशी खुशी निर्वहन कर सकें ।
मन के विषय में चौपाई छंद :-
मन को ज्यादा मत भटकाओ ।
उसे पकड़ धरती पर लाओ ।।
मन जो भटके काम बिगाड़े ।
कौन भला फिर उसे सुधारे ।।
मन है ऐसे जैसे घोड़ा ।
हरदम इसको मारो कोड़ा ।।
तभी सुधरना इसका संभव ।
इसमें कोई नहीं अचंभव ।।
निवेदन :-यदि आपके मन में ही मन के बारे में कुछ कहने की लालसा है तो जरूर कहें । मैं आपके विचारों का स्वागत करता हूं ।
✍️© आशीष उपाध्याय
गोरखपुर, उत्तर प्रदेश
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