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इस ज़िन्दगी से प्यार कर - Motivational short poem in hindi

इस ज़िन्दगी से प्यार कर -
Motivational short poem in Hindi

निराशा से नीर को बहने दे जरा ,     मन में आशा का संचार कर  ||        ये ज़िन्दगी है,अनमोल  बन्धु ,     इस ज़िन्दगी से प्यार कर  ||      जो बीत गया, उसे भूल जा ,    न किसी बात का अभिमान कर |    भविष्य की चिंता छोड़ दे ,    बस, वर्तमान की बात कर ||      ये ज़िन्दगी है,अनमोल  बन्धु ,     इस ज़िन्दगी से प्यार कर  || साध ले तू  खुद को, अर्जुन सम तू साधक बन | बलिदान करके खुशियों को अपनें, दूजे के आँसुओं को पीता चल | |                                                                 ये ज़िन्दगी है,अनमोल  बन्धु ,     इस ज़िन्दगी से प्यार कर  || ये  दर्द  नहीं , शस्त्र  है  तेरे , इनसे ही  तू  मुसीबतों  का  संहार  कर  |  अपनें  हौसलों  पे  रख  भरोसा , और कर्मों पे ऐतबार  कर।।    ये ज़िन्दगी है,अनमोल  बन्धु ,     इस ज़िन्दगी से प्यार कर  ||  होगी  मंज़िल  तुम्हारे  कदमों  में , अपनें  दिल  को  थाम  और  धीरज  धर , कंटीले -रास्तों  पे  चलके तू , एक  नयी  दुनियाँ  तैयार  कर।।     ये ज़िन्दगी है,अनमोल  बन्धु ,  इस ज़िन्दगी से प्यार कर  ||learning from life in hindi, motivational poem about life, inspirational poems about life lessons in hindi, Poem on Life struggle in Hindi, is zindagi
Inspirational poems about life lessons in Hindi

"इस ज़िन्दगी से प्यार कर" कवि आशीष उपाध्याय के द्वारा रचित एक प्रेरक कविता है, जिसमें कवि के द्वारा ये बताने का सफल प्रयास किया गया है, कि सबके जीवन में बहुत ही संघर्ष है, इस लिए हमें उस संघर्ष से कदापि डरना नहीं चाहिए, बल्कि वर्तमान को देखते हुए अपने सभी कार्यों को करना चाहिए |

 

निराशा से नीर को बहने दे जरा ,
मन में आशा का संचार कर ||
ये ज़िन्दगी है,अनमोल बन्धु ,
इस ज़िन्दगी से प्यार कर ||

जो बीत गया, उसे भूल जा ,
न किसी बात का अभिमान कर |
भविष्य की चिंता छोड़ दे ,
बस, वर्तमान की बात कर ||

ये ज़िन्दगी है,अनमोल बन्धु ,
इस ज़िन्दगी से प्यार कर ||

साध ले तू खुद को,
अर्जुन सम तू साधक बन |
बलिदान करके खुशियों को अपनें,
दूजे के आँसुओं को पीता चल | |

ये ज़िन्दगी है,अनमोल बन्धु ,
इस ज़िन्दगी से प्यार कर ||

ये दर्द नहीं , शस्त्र है तेरे ,
इनसे ही तू मुसीबतों का संहार कर |
अपनें हौसलों पे रख भरोसा ,
और कर्मों पे ऐतबार कर।।


ये ज़िन्दगी है,अनमोल बन्धु ,
इस ज़िन्दगी से प्यार कर ||

होगी मंज़िल तुम्हारे कदमों में ,
अपनें दिल को थाम और धीरज धर ,
कंटीले -रास्तों पे चलके तू ,
एक नयी दुनियाँ तैयार कर।।

ये ज़िन्दगी है,अनमोल बन्धु ,
इस ज़िन्दगी से प्यार कर ||

           © कवि  आशीष  उपाध्याय  "एकाकी " 
गोरखपुर, उत्तर प्रदेश 
                      
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