भगवान शिव पर हिंदी कविता (हे महान सत्यपुंज)
Bhagwan Shiv Par Hindi Kavita
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Bhagwan Shiv Par Hindi Kavita छंद का नाम - कवित्त/घनाक्षरी छंद FIRST POEM (पहली कविता) |
हे अनंत चेतना के कर्णधार आप शिव ।
मेरी चेतना की नाव पार तो लगाइए ।।
द्वेष, दंभ, झूठ, काम के समान दुर्गुणों को ।
शीघ्र अति शीघ्र अब दूर तो भगाइए।।
दीन हीन मैं मलिन, आप मेरे प्राणनाथ ।
मुक्ति हेतु कालातीत कुछ तो सुझाइए ।।
बस एक प्रार्थना है, हे महान सत्यपुंज ।
झूठ से सत्य की तरफ मुझे ले जाइए ।।
SECOND POEM (दूसरी कविता)
आदि देव महाकाल, सोहे श्वेत भस्म भाल |
नीलकण्ठ महादेव, शक्ति भक्ति दीजिये ||
कालकूट पीने वाले, काल मुख सीने वाले |
गंगाधर चन्द्रधर, प्राण रक्षा कीजिये ||
योगी मुनियों ने जाना, तुझे अपना है माना |
आए हम द्वार तेरे, शरण में लीजिए ||
मेरे भोले मेरे ईश, द्वार खड़ा है आशीष |
इतनी ही विनती है, ज्ञान दान दीजिए ||
THIRD POEM (तीसरी कविता)
भोले भाले भोले नाथ, देते सदा मेरा साथ ।
आपको पुकारता हूं, पास चले आइए ।
रोज रोज कहता हूं, ध्यान में भी रहता हूं ।
प्राण छूटने से पूर्व, दरस कराइए ।।
बोले शिव सुनो पुत्र, जीवन का एक सूत्र ।
काम क्रोध पीकर के, सदा मुसुकाइए ।।
जीवन है अनमोल, नहीं जाना तुम डोल ।
कर्म योगियों की जैसे, कर्म कर्म गाइए ।।
© आशीष उपाध्याय ' एकाकी '
कवि । लेखक । अध्यापक
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