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तेरा मेरा मनुवां कैसे एक होइ रे (tera mera manwa kaise ek hoi re)

तेरा मेरा मनुवां कैसे एक होइ रे
 (Tera mera manwa kaise ek hoi re) 

Tera mera manwa kaise ek hoi re

कहत कबीर 🌹

तेरा मेरा मनुवां कैसे एक होइ रे ।
मै कहता हौं आँखन देखी, तू कहता कागद की लेखी ।
मै कहता सुरझावन हारी, तू राख्यो अरुझाई रे ॥
मै कहता तू जागत रहियो, तू जाता है सोई रे ।
मै कहता निरमोही रहियो, तू जाता है मोहि रे ॥
जुगन-जुगन समझावत हारा, कहा न मानत कोई रे ।
तू तो रंगी फिरै बिहंगी, सब धन डारा खोई रे ॥
सतगुरू धारा निर्मल बाहै, बामे काया धोई रे ।
कहत कबीर सुनो भाई साधो, तब ही वैसा होई रे ॥

- कबीरदास 🌹🌹

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