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ठहराव (मोटिवेशनल कविता - हिन्दी में) Poem on Bhagavad Gita in Hindi

 ठहराव (मोटिवेशनल कविता - हिन्दी में)
Poem on Bhagavad Gita in Hindi

ठहराव (मोटिवेशनल कविता - हिन्दी में) Poem on Bhagavad Gita in Hindi

ठहराव वो स्थिति है,
जब अवरूद्ध हो जाएँ कामनाएँ संपूर्ण। 
मुस्कान बढ़ जाए जीवन में,
            नर हो जाए  खुद में परिपूर्ण।।              

निज स्वार्थ भूल जाए जब,
आसक्ति का न कोई स्थान बचे। 
तब निश्चित है वही मानव,
संसार में एक इतिहास रचे।

जो होवे सुख में न ख़ुशी इतना,
कि दूजे का दुःख भूल जाए।  
और न ही करे उपहास किसी का,
कि कोई समीप उसके न आए।।

आलिंगन कर स्वयं का स्वयं से,
जो स्वयं में स्वयं ही समाहित हो जाए। 
वही जीव इस जगत में,
चिरकाल तक अमर हो जाए।।  

जो कर दे तृप्त अन्तःमन को,
वही सुख वास्तव में भाए। 
यही स्थिति मेरे भाई, 
जीवन में ठहराव लाए।।  

    © आशीष उपाध्याय " एकाकी "
गोरखपुर, उत्तर प्रदेश 

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