भगवदगीता पर कविता हिंदी में
Poetry on Bhagwadgeeta in Hindi
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Poetry on Bhagwadgeeta |
भगवदगीता पर कविता हिंदी में
(मनहरण घनाक्षरी)
जल, थल, नभ, वायु, आग, मन, बुद्धि और ।
अहंकार में विभक्त है प्रकृति जानिए ।।
इन आठ को तो अपरा प्रकृति कहते हैं ।
अपरा प्रकृति को ही जड़ रूप मानिए ।।
जड़ से भी परे एक और है प्रकृति यहाँ ।
चेतन या परा रूप उसे पहचानिए ।।
यह सब और विधिवत जानना है यदि ।
भगवदगीता पढ़ने को शीघ्र ठानिए ।।
© आशीष उपाध्याय "एकाकी"
गोरखपुर, उत्तर प्रदेश
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