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दोहा छंद क्या होता है ? इसे कैसे लिखें ? दोहा छंद लिखने के नियम तथा उदाहरण !

दोहा छंद क्या होता है ? इसे कैसे लिखें ?
(Doha Chhand in Hindi)

दोहा छंद क्या होता है ? इसे कैसे लिखें ? दोहा छंद लिखने के नियम तथा उदाहरण ! doha chhand kaise likhe, doha chhand ka udaharan, doha chhand ki paribhas
(Doha Chhand in Hindi)

दोहा छंद का परिचय तथा नियम (Introduction & Rules of Doha Chhand in Hindi)


दोहा छंद एक मात्रिक छंद है । जिसमें चरण चरण होते हैं । इस छंद के पहले और तीसरे चरण में 13 - 13 तथा दूसरे और चौथे चरण में 11 - 11 मात्राएं होती हैं । इसके अलावा इस छंद की अन्य विशेषताएं निम्न हैं । जो कुछ इस प्रकार से हैं :- 

1. दोहा छंद के पहले और तीसरे चरण की शुरुआत 2, 3, 4 या 8 मात्राओं वाले शब्दों से की जा सकती है ।

जैसे :- 

• दो और चार मात्राओं वाले शब्दों से शुरू होने वाले चरण :-

तुम हो तो ये जिन्दगी, खिली हुई है आज ।
सचमुच तुम ही हो प्रिये, मेरे सिर का ताज ।।

• तीन मात्राओं वाले शब्दों से शुरू होने वाले चरण :-

समय बहुत बलवान है, इसका नहीं जवाब ।
आज नहीं कल ही सही, सबका करे हिसाब ।।

• आठ मात्राओं वाले शब्दों से शुरू होने वाले चरण :- 

भगवदगीता को पढ़ो, होंगे उच्च विचार ।
इससे ही मन के सभी, होंगे दूर विकार ।।

2. दोहा छंद के पहले और तीसरे चरण के अंत में मात्रा भार रगण (212) होना चाहिए । 

जैसे :- ऊपर वाले दोहों में भी है :- 

समय बहुत बलवान है, इसका नहीं जवाब ।
आज नहीं कल ही सही, सबका करे हिसाब ।।

इसमें पहले चरण में (बलवान है) शब्द में अंत में देखिए । रगण यानी 212 है और तीसरे चरण में भी (ही सही) को देखिए । रगण यानी मात्रा 212 है ।

3. दोहा छंद में दूसरे और चौथे चरण के अंत में मात्रा 21 होना चाहिए यानी दीर्घ फिर लघु होना चाहिए । साधारण शब्दों में समझा जा सकता है कि अंत में लघु यानी केवल एक मात्रा होती है ।

जैसे :- इस उदाहरण को देखिए इसमें दूसरे और चौथे चरण के अंत में मात्रा 21 है ।

समय बहुत बलवान है, इसका नहीं जवाब ।
आज नहीं कल ही सही, सबका करे हिसाब ।।

इसमें दूसरे में वाब और चौथे चरण में साब को देखिए ।

4. कल संयोजन का विशेष ध्यान रखना चाहिए ।

5. दूसरे और चौथे चरण के अंत में जिन शब्दों का इस्तेमाल किया जाए उनमें अंतर होना चाहिए यानी उच्चारण अलग अलग होना चाहिए । 

जैसे :- इस दोहे को देखिए :- 

भगवदगीता को पढ़ो, होंगे उच्च विचार ।
इससे ही मन के सभी, होंगे दूर विकार ।।

दूसरे चरण के अंत में चार (विचार) है और चौथे के अंत में कार (विकार) है । इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए नहीं तो पूरा दोहा लेखन बेकार हो जाएगा ।

6. पहले और तीसरे चरण में पहले शब्द में जितने मात्राओं के शब्द का प्रयोग होगा उसके अगले शब्द में भी उतने ही मात्राओं या उसके अनुरूप ही मात्राओं का प्रयोग होगा ।

जैसे :- यदि तीन मात्राओं वाले शब्द का प्रयोग किया जा रहा है तो अगले शब्द में तीन या पांच मात्राओं वाले शब्द का तथा यदि पहले शब्द में दो और चार मात्राओं वाले शब्द का प्रयोग होता है तो अगले शब्द में दो या चार मात्राओं वाले शब्द का प्रयोग होगा । उदाहरण के लिए ऊपर के दोहों को देखा जा सकता है ।


नोट :- यदि दोहा लेखन में किसी भी प्रकार की दिक्कत आती है तो आप हमें कॉन्टेक्ट कर सकते हैं ।


कुछ कवियों के दोहे उदाहरण के रूप में :-


कबीर के दोहे :- 

धीरे-धीरे रे मना, धीरे सब कुछ होय। 
माली सींचे सौ घड़ा, ॠतु आए फल होय॥ 
 
कबीरा ते नर अंध है, गुरु को कहते और। 
हरि रूठे गुरु ठौर है, गुरु रूठे नहीं ठौर॥ 
 
माया मरी न मन मरा, मर-मर गए शरीर। 
आशा तृष्णा ना मरी, कह गए दास कबीर॥ 

जाति न पूछो साधु की, पूछ लीजिये ज्ञान,
मोल करो तरवार का, पड़ा रहन दो म्यान।

काल करे सो आज कर, आज करे सो अब ।
पल में प्रलय होयगी,बहुरि करेगा कब ॥

तुलसीदास के दोहे :- 

दया धर्म का मूल है पाप मूल अभिमान।
तुलसी दया न छोड़िये जब तक घट में प्राण।।

राम नाम मनिदीप धरु जीह देहरीं द्वार।
तुलसी भीतर बाहेरहूँ जौं चाहसि उजिआर।।

काम क्रोध मद लोभ की जौ लौं मन में खान।
तौ लौं पण्डित मूरखौं तुलसी एक समान।।

तुलसी मीठे बचन ते सुख उपजत चहुँ और।
बसीकरण इक मन्त्र हैं परिहरू बचन कठोर।।

सूर समर करनी करहिं कहि न जनावहिं आपु।
बिद्यमान रन पाइ रिपु कायर कथहिं प्रतापु।।


© आशीष उपाध्याय ' एकाकी '
कवि । लेखक । अध्यापक









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1 Comments

  1. Mujhe aapki sahayta ki jarurat thi ... mai Doha lekhan par kam kar raha hu...mujhe margadarshan kare --- mera no hai 9425211037

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