मतलब क्या ? शादी तय !
(Shaadi Par Social Thoughts in Hindi)
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Shaadi Par Social Thoughts in Hindi |
दुनियां में बहुत सारी बातें कहने को , सुनने को और विचार करने को हैं उनमें से एक बात बहुत ही प्रासंगिक बात है और वो बात लड़कियों से जुड़ी हुई है । आजकल चारों तरफ शादियों का माहौल है तो मैं इस बात को कहना उचित समझता हूं ।
कोई भी एक लड़की है जिसकी शादी का विचार उसके माता - पिता के मन में है । अब ये लड़की कोई भी हो सकती है । कोई मतलब कोई भी । उसके माता - पिता घर में शादी की बात करते हुए कहते हैं कि सुमन (काल्पनिक नाम) की शादी इस साल " तय " करनी है और कहीं न कहीं से ले देकर इसकी शादी कर देनी है अगले साल तक । अब बात आती है कि शादी कहां देखी जाए । तमाम तरह की बातें की जाती हैं कि लड़का ऐसा होना चाहिए, इतना कमाए, घर वाले ऐसे होने चाहिए, संपत्ति इतनी होनी चाहिए । मतलब पूरा एक ब्यौरा तैयार कर लिया जाता है । जैसे माता - पिता बाजार जाते हुए बच्चे से कहते हैं कि देखो ये सामान इतने में मिले तो लाना और बढ़िया लाना और हां देख लेना दुकानदार साफ - सुथरा हो । अरे फलाने की दुकान से लाना उनका दुकान बहुत चलता है । इत्यादि, इत्यादि ।
अब इस पूरे में माहौल में एक नए जोकर की इंट्री होती है जो लड़की की शादी के लिए लड़के के बारे में बताए मतलब शादी " तय " करवाए । यह आदमी शादी उसी तरह शादी तय करवाता है जैसे कोई दलाल हो और वह दो व्यापारियों के बीच किसी सौदे को तय करवा रहा हो ।
अब शादी तय करने की बात आती है , लड़का देख लिया गया है यानी उस व्यापारी की तलाश कर ली गई है जो उस लड़की से शादी करके उस पर एहसान करने वाला है और साथ ही साथ उसे खाना पानी देने के लिए कुछ धन भी लेने वाला है जो लड़की के घर वाले उपहार कहेंगे और लड़के के घर वाले भी । लेकिन मेरे जैसा आदमी इसे सौदे की राशि के अलावा कुछ नहीं समझता । शादी तय करने और करवाने के बीच एक ऐसा व्यक्ति भी जरूर होता है जो मध्यस्थ यानी दलाल का काम करे । भाई साहब लड़का और लड़की दोनों के बीच कितने में सौदा तय हो इसका पूरा ख्याल यह व्यक्ति रखता और यदि कहीं कोई बीच वाला आदमी नहीं है तो आप इसे उत्पादक से उपभोक्ता तक जैसे किसी वस्तु को भेजा जाता है वही समझिएगा । लड़की वाले पिता कहते हैं कम से कम में शादी तय करवा दीजिए और लड़के के पिता कहते हैं कि जितना हो सकते उतना दिलवा दो यार लड़के पे बहुत खर्च किया है मैंने । तो फिर करना ही क्या है दोनों से ले देकर बिचौलिया शादी तय करवा देता है ।
शादी हो गई । शादी में पंडित ने मंत्र पढ़ दिया जिसका आचरण भले ही उसने अपने घर में अपने जीवन में किया हो या नहीं । हुड़दंगई में बियाह हो गया । फिर सब खत्म । टाटा बाय - बाय ।
इस पूरी प्रक्रिया को ध्यान से , पूरे मन से समझिएगा । फिर जो समझ आए वो कॉमेंट बॉक्स में जरूर बताइएगा । इंतजार रहेगा ।
बस इतना कहना चाहता हूं ये सारे माता - पिता वही कर रहे हैं जो उनके माता - पिता ने किया उनके साथ और अब वे अपने बच्चों को भी वही सब सिखा रहे हैं और उनसे करवा रहे हैं । इसके लिए एक दोहा फ्री में बिना दलाली खाए और बिना बिके आप सभी को निवेदित करता हूं .......
बच्चा करता है वही, जो करते हैं आप ।दोष उन्हें मत दीजिए, दोषी हैं मां - बाप ।।
अपना ख्याल रखिए ! फिर मिलूंगा ।
© आशीष उपाध्याय ' एकाकी '
कवि । लेखक । अध्यापक
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