दिलदारी और जेब खाली
(Love Poem for Struggling relationship)
दिलदारी और जेब खाली,
कब तक चलता जी ।
भटके पंछी डाली - डाली,
कब तक चलता जी ।।
एक खदेड़े दरवाजे से,फिर दूसरे घर जाऊं ।
ठंडा पानी मिल जाए तो,अपनी प्यास बुझा पाऊं ।।
नहीं मिले जो पानी मुझको, आंसू पीता जी ।।
दिलदारी और जेब खाली .......
मानवता के केंद्र बिन्दु पे, नौकरियां कब मिलती हैं ।
सरकारें मेरे भारत में, दो पैसे में बिकती हैं ।।
जिसको देखो, वो ही अपना, शोषण करता जी ।
दिलदारी और जेब खाली .......
प्रेम पत्र में उसे हमेशा नौकरियों की आस दिलाऊँ ।
मिले नौकरी फिर मैं जानम तुमको कलकत्ता घुमाऊँ ।।
प्यार हमारा उम्मीदों पे जब तक चलता जी ।
दिलदारी और जेब खाली .......
एक बार वो मुझसे बोली, मुझको भूल जाओ ।
मिलो नौकरी फिर आकर तुम मुख अपना दिखलाओ ।।
रूठ जाना उसका मुझको बहुत ही खलता जी ।
दिलदारी और जेब खाली .......
© आशीष उपाध्याय "एकाकी"
गोरखपुर, उत्तर प्रदेश
0 Comments
Please do not enter any spam in the comment box.
Emoji