भारत माँ के लाल
Pandit Ram Prasad Bismil Ke Jivan Par Kavita
कैसे मैं बतलाऊँ एक ।
भारत माँ के लाल अनेक ।।
बूढ़े - बच्चे और जवान ।
करते हैं इनका गुणगान ।।
भारत माँ के लाल अनेक ।।
बूढ़े - बच्चे और जवान ।
करते हैं इनका गुणगान ।।
सुनकर सब होते हैरान ।
बिस्मिल की वो कथा महान ।।
गोरखपुर की है ये बात ।
गुजर चुकी थी सारी रात ।।
बिस्मिल की कसरत को देख ।
सबके माथे आई रेख ।।
जेलर बोला क्या है राज ।
कसरत क्यों करते हो आज ।।
बिस्मिल मुस्काए कुछ मंद ।
बोले माँ को फूल पसंद ।।
नहीं कर रहा कोई भूल ।
आज चढ़ाऊँ ताजा फूल ।।
© आशीष उपाध्याय "एकाकी"
गोरखपुर, उत्तर प्रदेश
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