तेरी प्यारी सी मुस्कान,
जो साथ थी मेरे ।
फिर कहीं से जब,
दिल को छू जाती है ।।
तब तेरी याद आती है .....
जब कभी कलियां खिले,
कोयल गाए बाग में ।
महक उठता है तब मन मेरा,
जैसे लगता है कि तूं,
कोई गीत सुनाती है ।।
तब तेरी याद आती है ...
सुबह, दोपहर, शाम,
देखूं तेरी तस्वीर ।
याद आते हैं तब मुझे,
बीते लम्हें फिर से,
जब तुम कहती थी,
एक जान हैं हम,
और एक शरीर ।
अब जब भी ऐसे हालातों से,
कभी गुजरता हूं ।
तब तेरी याद आती है .....
© आशीष उपाध्याय "एकाकी"
गोरखपुर, उत्तर प्रदेश
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